ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर धातु में निहित ऊर्जा होती है, ज्योतिष द्वारा मान्य शुद्ध अष्टधातु अंगुठी का प्रभाव इतना है कि जीवन में आने वाली धन ज्ञान कार्य मानसिक एवं ग्रहो की पीड़ा जैसी अनेकों समस्याओं को दूर कर जीवन में सुख समृद्धि लाती हैं।
शुद्ध अष्टधातु से निर्मित अंगूठी को व्यक्ति के नाम राशी से सिद्ध किया जाता हैं जिसके परिणाम स्वरूप पहनने पर भाग्योदय, कार्य सिद्धि और धन प्राप्ति के प्रबल मार्ग बनते है।
अनेक बाधाऐं जैसे कार्य बाधा, शत्रु बाधा, धन बाधा आदि दूर होकर व्यापार में लाभ एवं जीवन में उन्नति के अवसर खुलते हैं।
कई बार, जब ग्रहों की स्थिति ठीक नहीं होती या कुंडली में दोष होते हैं, तो व्यक्ति को जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अनेक जतन करता है, पर कई तरह के उपाय करने के बाद भी उचित परिणाम नहीं मिलता, ऐसे में अष्ट धातु अंगूठी एक प्रभावी उपाय के रूप में उभरती है यह अंगूठी पहनने वाले जातक के शरीर के सम्पर्क में रहते हुए उसे पाप ग्रहों (मंगल, शनि, राहु, केतु) एवं कुंडली के दोषों के दुष्प्रभावों से संरक्षण करती हैं।
अष्ट धातु अंगूठी को कौन और कैसे धारण कर सकता है।
जो जातक अपने जीवन में निरंतर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, या जो विभिन्न प्रयासों के बाद भी अनुकूल परिणाम नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं, उनके लिए अष्टधातु अंगूठी एक महत्वपूर्ण उपाय हो सकती है। यह अंगूठी न केवल ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके कई अन्य लाभ भी हैं।
यह विशिष्ट अंगूठी स्त्री अथवा पुरुष दोनों ही धारण कर सकते है, यह पुर्णतः हानिरहित है। पुरुषो को दाहिने हाथ एवं महिलाओ को बाएं हाथ में धारण करना लाभकारी होता है
अष्टधातु अंगूठी को नाम राशी के अनुसार रेकी पद्धति से सिद्ध किया जाता है अतः इसे किसी भी राशी, उम्र अथवा धर्म का व्यक्ति धारण कर लाभ प्राप्त कर सकता है।
यह अंगूठी किसी भी उंगली में धारण की जा सकती हे, परन्तु तर्जनी और अनामिका श्रेस्ट है, सुविधा के लिए धारण करने की संपूर्ण विधि साथ में दी जाएगी।
अतः, अष्ट धातु अंगूठी का उपयोग किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है, जो अपनी जीवन स्थितियों में सुधार लाना चाहता है।
अष्ट धातु अंगूठी का निर्माण ज्योतिष शास्त्र में मानव जीवन की विभिन्न बाधाओं, उनके कारणों और उनके उपयुक्त समाधानों का सूक्ष्म अध्ययन करके किया गया है, अतः जो व्यक्ति इसे विश्वाश के साथ धारण करता हे उसे प्रत्यक्ष लाभ देखने को मिलते हे।
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नाम के अनुसार अष्टधातु अंगूठी आठ प्रमुख धातुओ (सोना,चांदी,ताम्बा,सीसा,जस्ता,लोहा(गंगा के नाव की कील) टिन तथा पारा) के मिश्रण से बनती है, जिसका उपयोग प्राचीन काल से सिद्ध मुर्तियो तथा ज्योतिष यंत्रो को बनाने मे किया जाता रहा है, ईस पवित्रतम बहुमुल्य अंगूठी को धारण करने से आप धन लाभ तो पाते ही है इसके अलावा क्रोध कम होता है मन शांत रहता है एवं आपका स्वस्थ भी उत्तम बना रहता है।
।। कैसे कार्य करती हे अष्टधातु अंगूठी।।
अष्टधातु अंगूठी मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालती है | अष्टधातु पहनने से व्यक्ति में तीव्र एवं सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है। धीरे-धीरे सम्पन्नता में वृद्धि होती है |
व्यापार के विकास और भाग्य जगाने के लिए शुभ मुहूर्त में अष्टधातु अंगूठी को धारण करें। यह एक बहुत प्रभावशाली उपाय है, इससे सोया भाग्य जग जाता है |
अस्ताधातु अंगूठी धरण करने से नौ ग्रहो से होने वाली पीड़ा सांत होती हे, जिससे सफलता के मार्ग खुलते है |
अष्टधातु का मुनश्या के स्वास्थ्य से गहरा संबंध है यह हृदय को भी बल देती है एवं मनुष्य की अनेक प्रकार की बिमारियों को निवारण करती
अष्टधातु अंगूठी में औषधीय गुण होते हैं। यह शरीर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद कर सकती है।
अष्टधातु के मिश्रण से बनी अंगूठी शरीर के ऊर्जा चक्रों को संतुलित करने में मदद कर सकती है।
इसमे मौजूद पारा व्यापार के विकास और भाग्य जगाने के लिए सूर्य और बुध को प्रबल करता है
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अष्टधातु अंगूठी से जुड़े आप के प्रमुख सवाल एवं उनके जवाब
रेकी एक ज्योतिषी विज्ञान की पद्धति है जिसके द्वारा ऊर्जाओं को संयोजित किया जाता है जिसके माध्यम से अंगूठी का बल बढ़ जाता है और अंगूठी प्रभावशाली हो जाती है।
इस अंगूठी को प्राप्त करने के बाद इसे नदी के जल या (गंगाजल) से स्नान करवा कर राशि अनुसार मूहर्त में दाहिने हाथ या बाये हाथ की तर्जनी या माध्यमा में पहन सकते है
अगर आप का बुध कमजोर है तो इसे अनामिका में धारण करने से बहुत ही लाभ होता है।
ज्योतिष शास्त्र में अष्टधातु का बड़ा महत्व है कई पाप ग्रहों का दुष्प्रभाव और पीड़ा दूर करने के लिए अष्टधातु की अंगूठी को पहना जाता है। भगवान की कई मूर्तियों को भी अष्टधातु से बनाया जाता है। इसका कारण है इसकी शुद्धता अष्टधातु का अर्थ है आठ धातुओं का मिश्रण इनमें आठ धातुएं जैसे- सोना , चांदी , शीशा , जस्ता , पारा, रांगा , लोहा , तथा पारा शामिल किया जाता है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर धातु में ऊर्जा होती है धातु अगर सही समय में सही ग्रहों की स्थति को देख कर धारण की जाए तो उसका सकारात्मक प्रभाव पहनने वाले को मिलता है इसी सिद्धांत के आधार पर विभिन्न ग्रहों की पीड़ा दूर करने के लिए उनके संबंधित रत्नों को भी अष्टधातु में पहनने का विधान है
आपके नाम के अर्थ के अनुसार यानि कि आठ धातुओं से मिलकर जो धातु बनी होती है उसे अष्टधातु कहा जाता है। अष्टधातु जिन आठ धातुओं से मिलकर बनती है वो है – सोना , चांदी , शीशा , जस्ता , पारा, रांगा , लोहा ,(गंगा की नाव की कुल )
अष्टधातु अंगूठी विशिष्ट फलदायी एवं नव ग्रहों को बदल देने वाली धातु है साथ ही राहू के कष्टदाई कुप्रभावों को खत्म करती है जिसे किसी भी राशि के धर्म लिंग का व्यक्ति धारण कर सकता है अगर व्यापार एवं पैसे में कठिनाईया । कार्यों में रुकावट या मानसिक तनाव हमेशा बना रहता है। तो अपनी नाम राशि के अनुसार सही समय और सही तरीके से पहन इसके सकारात्मक परिणाम देख सकते है
शुद्ध अष्टधातु की पहचान लेब टेस्ट द्वारा आसानी से की जा सकती है । इसके अलावा रत्नकोष अष्टधातु की अंगूठी के साथ 6 माह की वारंटी आपको प्राप्त होती है।